सतत सीखने का महत्व
सतत सीखना:-
सतत सीखने का महत्व:-
व्यक्तित्व में सुधार और जीवन में प्रगति के लिए सीखना एक महत्वपूर्ण कारक है। जैसा कि हम जानते है शरीर के विकास के लिए भोजन तथा शरीर को स्वस्थ और उपयुक्त बनाए रखने के लिए योग और व्यायाम अति आवश्यक है। उसी प्रकार जीवन में प्रगति और विकास के लिए आवश्यक सूचनाएँ सतत सीखने से ही मस्तिष्क को पूर्णतः मिलती है। जीवन में पूर्ण क्षमता प्राप्त करने के लिए तथा जीवन प्रगति पथ के किसी भी मोड़ पर गतिहीनता और विकासहीनता को आने से रोकने के लिए सतत सीखने को अपने व्यक्तिगत और व्यवसायिक विकास का मुख्य अंग अवश्य बनाना चाहिए। विभिन्न और समुदाय के अनेकानेक व्यक्तियों से मधुर सम्बन्ध बनाने के लिए आवश्यक उपायों की प्राप्ति सतत सीखने से होती है। सघन और तर्क संगत सोचने की शक्ति का विकास सतत सीखने से सम्भव होता है। सतत सीखने के बिना जीवन मार्गदर्शक सूचक यंत्र रहित वायुयान की तरह होता है।
परिवर्तन के संदर्भ में यह सार्वभौमिक सत्य है कि यह परिवर्तनशील है और अवश्य ही घटित होगा तथा इससे हमारे भविष्य, व्यक्तित्व समुदाय और यहाँ तक कि हमारे जीवन में भी परिवर्तन होता है, इस परिवर्तन के अनुसार स्वयं को प्रभावशाली तरीके से सक्षम सतत सीखने की प्रक्रिया से ही बनाया जा सकता है।