सतत व्यवसायिक विकास का लाभ/महत्व
1. सीखे गए ज्ञान और दक्षता को निरन्तर बनाए रखने के लिए सतत व्यवसायिक विकास प्रभावी होता है। जो व्यवसाय में जीवन पर्यन्त प्रभावशीलता बनाए रखने में सहायक होता है।
2. अपने व्यवसाय के अन्य लोगों से समन्वय रखने में यह सहायक होता है।
3. विद्यार्थियों और अन्य हितधारकों को व्यवसायिक प्रभावशीलता के साथ ज्ञान प्रदान करने में सतत व्यवसायिक विकास हितकर होता है।
4. शिक्षण शैली में तीव्रता से परिवर्तन हो रहा है। उसके अनुरूप ज्ञान और दक्षता प्रदान करके सतत व्यवसायिक विकास परिवर्तन को अपनाने में सहायता करता है।
5. यह शिक्षक की सृजनता और दूरदृष्टि को बढ़ाकर उसे अधिक बहुमुखी बना देता है जिससे वह कक्षा का संचालन प्रभावी तरीके से करता है।
6. शिक्षण कार्य में प्रभावशीलता बनाकर व्यवसाय में रुचि उत्पन्न करने में सहायता करता है।
7. सतत व्यवसायिक विकास, व्यवसाय की जटिलताओं को उचित प्रकार से समझने में सहायक होता है।
8. यह नवीन तकनीक के सम्बन्ध में उचित तरीका पहले से बताकर उसे उचित प्रकार संचालित करने की क्षमता प्रदान करता है।
9. व्यवसाय में आने वाले अवसरों को सतत व्यवसायिक विकास प्राप्त करने में सहायता करता है जिससे शिक्षक अपने क्षेत्र का विशेषज्ञ बन जाता है।
10. व्यवसायिक योग्यता को बढ़ाकर यह व्यवसायिक आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
11. सतत व्यवसायिक विकास, जीवन शैली की गुणवान में आश्चर्यजनक सुधार करता है जिससे समाज से जुड़े अन्य कारक जैसे वातावरण, स्तर बनाए रखने की क्षमता और आर्थिक पहलू स्वतः ही सुधर जाते है।
12. व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों के लिए सतत व्यवसायिक विकास पूरे व्यवसायिक जीवन का एक कर्तव्य बन जाता है।
13. नई दक्षता के विकास में व्यवसाय के प्रतिस्पधारात्मक परिवेश में बढ़त प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
14. व्यवसायिक प्रशिक्षण में उद्योगों के साथ सार्थक समन्वय अति आवश्यक होता है।
15. सतत व्यवसायिक विकास सूचनाओं को सांझा करने के योग्य बनाता है, जो नए विचार और अनुभव के दरवाजे को खोलता है।
16. कक्षा में सामूहिक सहयोग या ऑनलाइन सामूहिक परिचर्चा को, सतत व्यवसायिक विकास प्रोत्साहित करता है, जिससे व्यवसायिक क्षमता का विकास होता है।
17. जागरूकता और ज्ञान साथ-साथ चलते हैं, अतः सतत व्यवसायिक विकास के द्वारा नई सूचना सीखने से जागरूकता में वृद्धि होती है।
18. सतत व्यवसायिक विकास उत्सुकता को पोषित करता है, जिससे नई सोच प्रक्रिया उत्पन्न होती है जो बौद्धिक विकास के नए द्वार को खोलती है।
19. सतत व्यवसायिक विकास से अपने समूह को उपयोगी योगदान देना सम्भव हो जाता है। यह योगदान साथियों और विद्यार्थियों को भी दिया जा सकता है।
20. कार्य भूमिका का निर्वाह करने के संकल्प में वृद्धि करता है।
21. यह व्यक्तिगत दक्षता, बुद्धिमान और कार्यजनित क्षमता में सुधार करता है।
22. सतत व्यवसायिक विकास भविष्य में उतृष्ट रोजगार का अवसर प्रदान करता है।
23. सतत व्यवसायिक विकास सीखने की योग्यता में सुधार करके व्यवसाय में स्वयं सुधार की महत्वाकांक्षा का प्रदर्शन करता है।
24. उच्च मानक सीखने की संस्कृत को पोषित करके प्राप्त होता है जिससे तर्कसंगत प्रयोगिक अनुभव को विकसित करके उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता मिलती है।
25. सतत व्यवसायिक विकास से शिक्षक और विद्यार्थियों दोनों को लाभ होता है।